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Friday, September 9, 2011

थोडा सा रूमानी हो जाएँ .....

बादलों का नाम ना हो अंबर की छाओं में
जलता हो जंगल खुद अपनी ही छाओं में

यही तो है मौसम
यही तो है मौसम
आओ तुम और हम बारिश के नगमे गुनगुनाये

थोडासा रूमानी हो जाये
मुश्किल है जीना उम्मीद के बिना
थोड़े से सपने सजाये
थोडासा रूमानी हो जाये
थोडासा रूमानी हो जाये

यह भीगी सी शाम
बस एक जाम
थोडा आराम
आओ रूमानी हो जाये ....

कुछ अनकही बातें
प्यारी मुलाकातें
वो घनी जुल्फों सी रातें
आओ रूमानी हो जायें ....

ना कुछ तुम कहो .
ना कुछ हम कहे
उँगलियाँ बातें करें उँगलियों से
आओ थोडा सा रूमानी हो जायें ...

आओ दिल से दिल मिलाएं
कुछ सुने कुछ सुनाएँ
बिन कहे हर बात कह जायें
आओ थोडा सा रूमानी हो जाएँ .....

Friday, September 2, 2011