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Wednesday, November 16, 2011

'इक ख्वाब था शायद ..

''इक ख्वाब था शायद ''
सुबह सुबह इक ख्वाब की दस्तक पे ,
दरवाज़ा खोला ,
देखा तो वह थी वहा...

पलके बिछाये ; सपने सजाये ,
इंतज़ार में मेरे ,
खड़ी थी वहा ...

ख्वाब था शायद , ख्वाब ही होगा ...

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